Tuesday, December 10, 2013

श्री राम का ग़म और अयोध्या


एक मस्जिद न गिरी मुल्क का अभिमान गिरा/
साज़िशें ख़ुश हुयीं कि किस तरह ईमान गिरा/

आज भी पाक ज़मीं रोती है तन्हा तन्हा/
नामे भगवन पे यहाँ किस तरह इंसान गिरा/

सदियों बरसों के भरोसे का गला काट दिया/
दिल के रिश्तों से बनाया हुआ अरमान गिरा/

नाम पे मेरे सियासत ने ज़माना लूटा/
किस क़दर आदमी साँसे लिए बेजान गिरा/

रो के कहते हैं श्री राम अयोध्या कि क़सम/
मेरी नज़रो में मुहब्बत का यूँ बलिदान गिरा/

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Salman Rizvi